
वक़्फ़ शिर्क संशोधन क़ानून पर नाराज़गी – सरकार के फ़ैसले का विरोध जताया सजिद रशीदी ने
नई दिल्लीः
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में वक़्फ़ से जुड़े पुराने क़ानून को ख़त्म कर नया वक़्फ़ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) लागू करने के फैसले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। इसी क्रम में जमीअत उलमा-ए-हिंद के वरिष्ठ धर्मगुरु सजिद रशीदी ने इस क़ानून पर नाराज़गी जताई है।
रशीदी ने कहा कि सरकार ने बिना सभी पक्षों से राय-मशविरा किए वक़्फ़ से जुड़े पुराने नियमों को हटाकर नया क़ानून बना दिया है। उनके अनुसार, इस फ़ैसले से न केवल धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों पर असर पड़ेगा बल्कि समुदाय के अधिकारों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा होगा।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वक़्फ़ संशोधन क़ानून को लागू करने से पहले मुस्लिम समाज और संबंधित संगठनों से व्यापक चर्चा की जानी चाहिए थी। रशीदी ने आरोप लगाया कि यह कानून धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी दखल को बढ़ाएगा, जो समुदाय के लिए चिंता का विषय है।
दूसरी ओर, सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि नया वक़्फ़ संशोधन अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया है। इसके तहत वक़्फ़ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और दुरुपयोग रोकने की व्यवस्था की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़ी गड़बड़ियों और विवादों को लेकर सुधार की मांग उठती रही है। सरकार का तर्क है कि नए कानून से वक़्फ़ बोर्ड की जवाबदेही तय होगी और समुदाय के लोगों को भी लाभ पहुँचेगा।
फिलहाल, सजिद रशीदी जैसे कई धार्मिक नेताओं ने इस क़ानून को लेकर अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं और सरकार से पुनर्विचार करने की अपील की है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।