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तामुलपुर के बरबालिशिहा के पुष्पक महंत ने ब्रायलर फार्म खोलकर बने आत्मनिर्भर, दस अन्य लोगों को भी दिया रोजगार। 

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तामुलपुर के बरबालिशिहा के पुष्पक महंत ने ब्रायलर फार्म खोलकर बने आत्मनिर्भर, दस अन्य लोगों को भी दिया रोजगार।

कुमारीकाटा, तामुलपुर के बरबालिशिहा गांव के एक युवा उद्यमी पुष्पक महंत ने ब्रायलर फार्म खोलकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। वैज्ञानिक पद्धति से ब्रायलर पालन करके वे हर महीने 70,000 रुपये से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने अपने गांव और आसपास के क्षेत्र के दस अन्य युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं।

पुष्पक महंत ने सरकारी नौकरी का इंतजार न करते हुए बीते 24 वर्षों से अपने घर पर ब्रायलर फार्म स्थापित कर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया। ब्रायलर पालन में विशेष अनुभव प्राप्त पुष्पक महंत से प्रशिक्षण लेकर तामुलपुर के कई शिक्षित बेरोजगार युवाओं ने भी ब्रायलर फार्म खोलकर अपनी आजीविका के साथ-साथ अपने परिवार का भरण-पोषण किया है।

यह उल्लेखनीय है कि पुष्पक महंत ने साल 2000 में खुद के पैसे से ब्रायलर फार्म स्थापित किया और चूजे खरीदकर उत्पादन शुरू किया। शुरुआती दिनों में उन्होंने 2,000 चूजों से अपना फार्म शुरू किया था। हालांकि शुरुआत में उन्हें ज्यादा लाभ नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया और ब्रायलर पालन जारी रखा।

हाल ही में उन्होंने उन्नत किस्म के ब्रायलर चूजों का उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ समझौता किया है। अब वे एक बार में 5,000 से 6,000 चूजे लाकर उनका सही तरीके से पालन करते हैं और हर महीने 70,000 रुपये से अधिक की आय अर्जित करते हैं।

पुष्पक महंत के अनुसार, तामुलपुर और आसपास के क्षेत्रों के अलावा नगांव, कार्बी आंगलोंग, धुबरी, बाक्सा और ओदालगड़ी जिलों के बेरोजगार युवा भी उनसे ब्रायलर पालन का प्रशिक्षण लेने आते हैं। पुष्पक महंत के मार्गदर्शन और सहयोग से आज तामुलपुर के विभिन्न क्षेत्रों में 200 से अधिक ब्रायलर फार्म स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे कई युवा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन गए हैं।

पुष्पक महंत, जो न केवल स्वयं आत्मनिर्भर हैं बल्कि दस अन्य लोगों को रोजगार प्रदान करने में सक्षम हैं, तामुलपुर में एक आदर्श ब्रायलर किसान के रूप में माने जाते हैं।

 

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