असम में मणिपुरी ऑटोनॉमस काउंसिल की मांग फिर तेज़, चुनाव से पहले आंदोलन को दी जा रही धार
जैसे-जैसे असम विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, विभिन्न संगठनों ने अपने-अपने मुद्दों को लेकर आंदोलन तेज़ कर दिया है। इसी कड़ी में ऑल असम मणिपुरी यूथ एसोसिएशन ने एक बार फिर असम में मणिपुरी ऑटोनॉमस काउंसिल की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है।
यह संगठन 1964 से लगातार इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहा है। समय-समय पर इन्होंने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक से गुहार लगाई, यहाँ तक कि दिल्ली के जंतर मंतर पर भी प्रदर्शन किया। संगठन का कहना है कि असम में मणिपुरी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और उनकी सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के लिए स्वायत्त परिषद की स्थापना जरूरी है।
पिछली सरकार में मुख्यमंत्री रहे सर्वानंद सोनोवाल ने भी संगठन के सदस्यों से मिलकर उन्हें आश्वासन दिया था। लेकिन समय बीतने के साथ वह वादे अधूरे रह गए। सत्ता परिवर्तन के बाद जब हेमंत बिस्व शर्मा मुख्यमंत्री बने, तब भी संगठन ने अपनी मांग दोहराई, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
आज सिलचर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द इस विषय पर कदम नहीं उठाया गया, तो चुनावी मौसम में यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
अब देखने वाली बात होगी कि चुनाव के इस गर्म माहौल में असम सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या मणिपुरी समुदाय की दशकों पुरानी मांग को कोई नया रास्ता मिलता है।